पितृ पक्ष, हिंदू धर्म में पूर्वजों के आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष समय होता है, और श्राद्ध पूजा इस समय की एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया है। यह पूजा पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है, और इसे पितृ दोष से मुक्ति पाने का प्रमुख उपाय माना जाता है। हर साल पितृ पक्ष में श्राद्ध पूजा करके हम अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सेलिब्रिटी ज्योतिष आचार्य सुनील कुमार जी ने इस पूजा के ज्योतिषीय महत्व पर विशेष प्रकाश डाला है।
पितृ पक्ष और श्राद्ध पूजा का ज्योतिषीय महत्व
पितृ पक्ष भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक का 16 दिनों का विशेष समय होता है। इस दौरान, पूर्वजों का आह्वान करके श्राद्ध पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
आचार्य सुनील कुमार जी के अनुसार, कुंडली में सूर्य, चंद्रमा, राहु और केतु की प्रतिकूल स्थिति पितृ दोष का संकेत देती है। इस दोष का प्रभाव जीवन में अनेक समस्याओं के रूप में देखा जा सकता है, जैसे संतानहीनता, आर्थिक संकट, पारिवारिक क्लेश, और स्वास्थ्य समस्याएँ। श्राद्ध पूजा का सही विधि-विधान से करना इन समस्याओं से मुक्ति दिलाता है और पितृ दोष का निवारण करता है।
नवम भाव और श्राद्ध पूजा का संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवम भाव करियर और भाग्य का घर माना जाता है, जो पूर्वजों के आशीर्वाद से प्रभावित होता है। श्राद्ध पूजा करने से नवम भाव की शुद्धि होती है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति का भाग्य उदय होता है। आचार्य सुनील कुमार जी बताते हैं कि नवम भाव में शुद्धि होने पर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
सूर्य की भूमिका
सूर्य हमारे पितृ वंश का प्रतीक है। कुंडली में सूर्य की स्थिति व्यक्ति के पितरों के प्रति संबंध और उनके आशीर्वाद को दर्शाती है। श्राद्ध पूजा से सूर्य की स्थिति को संतुलित किया जा सकता है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आचार्य सुनील कुमार जी के अनुसार, सूर्य की स्थिति को सही करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सफलता और शांति का समय आता है।
पितृ दोष का निवारण और श्राद्ध पूजा का महत्व
कुंडली में पितृ दोष होने पर व्यक्ति को जीवन में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। पितृ दोष का प्रमुख कारण राहु और केतु की प्रतिकूल स्थिति मानी जाती है। अगर ये ग्रह नवम भाव में हों, तो पितृ दोष का संकेत होता है। इस दोष को दूर करने के लिए श्राद्ध पूजा करना आवश्यक होता है। आचार्य सुनील कुमार जी के अनुसार, श्राद्ध पूजा के साथ तर्पण करने से पितृ दोष का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
श्राद्ध पूजा का समय और विधि
श्राद्ध पूजा का समय पितृ पक्ष के दौरान ही सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसी समय पितरों की आत्मा पृथ्वी पर आती है और अपने वंशजों द्वारा की गई पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देती है। श्राद्ध पूजा की विधि में विशेष मंत्रों और नियमों का पालन किया जाता है, जिससे पूजा का सही फल प्राप्त होता है। अगर किसी व्यक्ति को अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकता है।
आचार्य सुनील कुमार जी से श्राद्ध पूजा करवाने के लाभ
आचार्य सुनील कुमार जी, जो ज्योतिष और पूजा विधियों में महारत रखते हैं, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध पूजा करवाने में मदद करते हैं। उनकी गहन ज्योतिषीय समझ और विशेष पूजा विधियाँ आपकी कुंडली में पितृ दोष का निवारण कर सकती हैं और आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति ला सकती हैं।
आचार्य सुनील कुमार जी के अनुसार, श्राद्ध पूजा करवाने के प्रमुख लाभ हैं:
• कुंडली का गहन अध्ययन और पितृ दोष का निदान
• विशेष मंत्रों और विधियों द्वारा श्राद्ध पूजा का आयोजन
• पितृ दोष निवारण के लिए प्रभावी ज्योतिषीय उपाय
• पारिवारिक और व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान
• पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन में सकारात्मक बदलाव
निष्कर्ष
श्राद्ध पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, यह पूजा पितृ दोष से मुक्ति पाने और जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त करने का एक प्रभावी उपाय है। अगर आप पितृ पक्ष में श्राद्ध पूजा करवाना चाहते हैं, तो सेलिब्रिटी ज्योतिष आचार्य सुनील कुमार जी की सेवाएँ आपके लिए सर्वोत्तम विकल्प हो सकती हैं। उनकी अनुभवी ज्योतिषीय सेवाएँ और पूजा विधियाँ आपके जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव ला सकती हैं।
अधिक जानकारी के लिए और श्राद्ध पूजा करवाने हेतु आचार्य सुनील कुमार जी से संपर्क करें और अपने जीवन में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें।